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बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव ने मुख्यमंत्री को डायरेक्ट लिखा पत्र और दे दिया चेतावनी

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव ने मुख्यमंत्री को डायरेक्ट लिखा पत्र और दे दिया चेतावनी

माध्यमिक शिक्षक संघ, बिहार के महासचिव और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने आज मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि शिक्षा विभाग के अमानवीय, तानाशाही और अलोकतांत्रिक रवैया से शिक्षकों और बच्चों की जान खतरे में है।


शिक्षा विभाग का यह फैसला मुख्यमंत्री को भी कलंकित करने वाला है। इस आदेश को तुरंत ही हटाने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी लिखा की शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री को भी मानसिक और शारीरिक रूप के साथ ही राजनीतिक रूप से स्वस्थ नहीं रहने देगा।

16 मई से शिक्षकों के साथ ही बच्चों को भी 90% की उपस्थिति और 12 बजे लहलहाती धूप में जब पारा 45 डिग्री रहेगा ,तब बच्चों को घर जाना होगा और शिक्षक भी स्कूल से छुट्टी होने के बाद खाली पेट घर जा रहे होंगे।
लहलहाती धूप का शिकार हुए कुछ दिन पूर्व ही मुजफ्फरपुर के एक शिक्षक अविनाश कुमार की लू लगने से मृत्यु हो गई थी। बावजूद इसके शिक्षा विभाग लापरवाह, बेपरवाह है।

शत्रुघ्न प्रसाद ने यह भी कहा कि प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय लेवल के शिक्षक की सेवा वेकेशनल यानी छुट्टियां वाली होती है, लेकिन अन्य सरकारी सेवकों की सेवा नॉन वोकेशनल यानी की बिना छुट्टियां वाली होती है। इसलिए शिक्षकों को सिर्फ 14 दिन का ही अवकाश मिलता है और अन्य सरकारी कर्मियों को 33 दोनों का अवकाश मिलता है। अभी तक इस संबंध में शिक्षा विभाग की तरफ से कोई भी आदेश नहीं निकला गया है। लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद भी दिन में चलने वाले विद्यालय अभी तक संचालित नहीं हुए हैं।
विधानमंडल में हुई यह घोषणा भी मात्र वहीं तक सिमट कर रह गई और शिक्षा विभाग ने इस आदेश का कोई भी पालन करना तो दूर, इस पर ध्यान भी नहीं दिया।

आपको बता दे की विश्वविद्यालय के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों का जो भी पेंशन धारी कर्मी है उनका पेंशन बंद कर दिया गया है जो कि उनकी बुढ़ापे के साथ गलत है।

महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने नीतीश कुमार को इस बात की भी सूचना दी की शिक्षा मंत्री और आपके द्वारा अभी तक किसी भी विश्वविद्यालय के समय अवधि 6 बजे सुबह से नहीं दी गई होगी। क्योंकि बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी उठना और उनके लिए खाना बनाने के साथ ही, जो शिक्षक विद्यालय से दूरी पर रहते हैं उन्हें भी बिना कुछ खाए इस गर्मी में समय पर विद्यालय पहुंचना अनिवार्य है। आपदा प्रबंधन के साथ ही मौसम विभाग ने भी बिहार में येलो अलर्ट की चेतावनी दी है। लेकिन दोपहर के 12 बजे बच्चों को स्कूल से छुट्टी होने के बाद घर जाना और साथ ही शिक्षकों को 1.30 दोपहर में घर जाना कहीं से भी अमानवीयता और असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
उन्होंने मुख्यमंत्री को कहा कि बिना सोचे समझे इस तरह के आदेश से शिक्षा विभाग ही नहीं आपका भी नुकसान हो सकता है। इसीलिए शिक्षा विभाग

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