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नीतीश नायडू कभी भी बदल सकते हैं पाला, देखिए क्यों?

नीतीश नायडू कभी भी बदल सकते हैं पाला, देखिए क्यों?

कसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने शुरुआती दौर में ही अबकी बार 400 पार का नारा दे दिया। लेकिन भाजपा का यह नारा सिर्फ नारों तक ही सीमित रह गया। बीजेपी अपने बलबूते सरकार बनाने का बहुमत भी नहीं ला पाई।

ऐसे में अब भाजपा को सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ेगी। जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और आंध्र प्रदेश में शानदार प्रदर्शन करने वाली पार्टी टीडीपी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के सहयोग से ही एनडीए की सरकार बन सकती है। लेकिन इनमें दोनों का एनडीए में मजबूत होना ही एनडीए के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण भी है।

भाजपा बहुमत से दूर रह गई तो अब उसकी मजबूरी है कि एनडीए गठबंधन में किंग मेकर की भूमिका में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को साथ लेकर चलना पड़ेगा। एनडीए में भाजपा के बाद नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के पास सबसे ज्यादा सीटें हैं।
लेकिन क्या यह दोनों सहयोगी भरोसेमंद है? यह इसलिए सवाल खड़ा हो रहा है। जहां इतिहास कुछ अलग ही कहानी बयां करता है। नायडू और नीतीश के पास कुल 28 सीटें हैं वहीं भाजपा के पास 240 सीटें हैं। बहुमत का आंकड़ा 272 का है। यही नहीं तीनों को मिलाकर 268 होता है। बाकी दूसरे साथियों से मिलकर बहुमत होगा।

ट्रैक रिकॉर्ड कितना भरोसेमंद

लोकसभा चुनाव परिणाम आते ही चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन के साथ ही रहने की बात कर चुके हैं। लेकिन यह दोनों पूर्व में भी इसका हिस्सा रहे हैं। इनका ट्रैक रिकॉर्ड कितना भरोसेमंद है, जनता अच्छे से जानती है। कुछ महीने पहले नायडू और नीतीश दोनों ही एनडीए का साथ छोड़ चुके थे और चुनाव से ठीक पहले गठबंधन में लौटे हैं। मोदी के साथ नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों के ही रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। यहां तक की नायडू और नीतीश को लेकर भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने कई तरह के तीखे बयान दिए थे।

इस तरह पलटवार में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू भी मोदी, अमित शाह पर काफी हमलावर रह चुके हैं। नीतीश कुमार ने मोदी को प्रचार से रोका बिहार में। 2009 के चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने बिहार में मोदी को प्रचार करने से रोका था। मोदी से नीतीश कुमार की तकरार तब और बढ़ गई जब 2013 में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया। इसके बाद तो जून 2013 में नीतीश 2014 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़े और जदयू को इसका नतीजा भुगतना पड़ा।

लालू के साथ हुए नीतीश

नीतीश ने 2015 का विधानसभा चुनाव लालू यादव की राजद के साथ लड़ा। लेकिन 2 साल में ही पाला बदल लिया। दोबारा एनडीए में आ गए, कुछ दिन साथ रहने के बाद अगस्त 2022 में उन्होंने फिर राजद के साथ सरकार बनाई। वही जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने एक बार फिर करवट लेते हुए लालू की पार्टी राजद के साथ छोड़ दिया और दोबारा एनडीए का गठबंधन में शामिल हो गए।

नायडू भी एनडीए के लिए विश्वसनीय नहीं

चंद्रबाबू नायडू भी एनडीए गठबंधन के लिए बहुत ज्यादा विश्वसनीय नहीं है। 2018 तक उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा थी फिर चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया था। गठबंधन से अलग होने पर खुद पीएम मोदी ने चंद्रबाबू नायडू को यू टर्न बाबू कहा था। कहा जाता है कि मोदी दोबारा नायडू को एनडीए में नहीं चाहते थे। लेकिन एक्टर पवन कल्याण दोनों को करीब लाए। संयोग से लोकसभा चुनाव परिणाम आए तो अब पीएम नरेंद्र मोदी की तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की रही चंद्रबाबू नायडू के सहारे पर है।

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