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सीएम नीतीश केके पाठक से नाराज, जाएंगे लंबी छुट्टी पर ! क्या मिलेगी शिक्षकों को राहत

सीएम नीतीश केके पाठक से नाराज, जाएंगे लंबी छुट्टी पर ! क्या मिलेगी शिक्षकों को राहत

बिहार का शिक्षा विभाग इन दिनों चर्चा में है। कारण शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के के पाठक है।

दरअसल आपको बता दे कि शिक्षा विभाग में इन दिनों उथल-पुथल मचा हुआ है। चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी के बावजूद शिक्षकों को स्कूल आने के आदेश का जहां पूरे बिहार में विरोध हो रहा है ।तो वहीं के के पाठक विपक्ष के निशाने पर है।
इन सभी चर्चाओं के बीच एक नई खबर सामने आ रही है कि शिक्षा विभाग के प्रमुख के के पाठक लंबी छुट्टी पर जाने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक के के पाठक ने छुट्टी के लिए एक आवेदन दिया है। इस आवेदन में उन्होंने 3 जून से 30 जून तक छुट्टी पर जाने का लिखा है। हालांकि उनकी छुट्टी मंजूर होगी या नहीं इस पर फैसला होना अभी बाकी है।

आपको बता दे कि बिहार के सभी जिलों में इन दोनों भीषण गर्मी ने तांडव मचा रखा है। 3 दिन पहले बिहार के कई जिलों के स्कूलों से ऐसी खबरें सामने आ रही थी। जिसमें कई स्कूली छात्र-छात्राएं बेहोश होकर गिर रहे थे। कारण ऐसे लहलहाती धूप और लू को बताया जा रहा था।
छात्रों के गर्मी के कारण बेहोश होने की खबर जैसे आग की तरफ फैल गई और बिहार सरकार के साथ ही शिक्षा विभाग निशाने पर आ गया। जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया और सभी स्कूल यहां तक की कोचिंग संस्थानों को भी 8 जून तक बंद करने का निर्देश दे दिया।

लेकिन हमारे के के पाठक कहां सुधरने वाले थे। मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद शिक्षा विभाग ने एक निर्देश जारी किया कि स्कूल बंद नहीं होंगे। शिक्षकों को वैसे ही आना होगा और गैर शैक्षणिक कार्य करना होगा। इसके बाद कई शिक्षक बीमार पड़ गए और उनमें एक दो शिक्षकों के मरने की भी खबर सामने आई।
बताया जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार इस आदेश से नाराज हो गए। इस बीच एक और खबर सामने आ रही है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव 31 मई को रिटायर हो रहे हैं। इस बीच सुनने को मिल रहा है कि के के पाठक यह चाहते थे कि कन्हैया प्रसाद को एक्सटेंशन मिल जाए, लेकिन ऐसा हो ना सका। और बिहार सरकार ने शिक्षा विभाग के सचिव के पाठक को चौका दिया। साथ ही मुख्यमंत्री के आदेश का उल्लंघन करके इस भीषण गर्मी में शिक्षकों को बुलाने का निर्णय भी बिहार सरकार की तौहीन समझी गई।

बिहार में चुनाव तो चल ही रहे हैं, इस बीच विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर होती दिखी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि NDA सरकार की मनमानी के कारण भीषण गर्मी में स्कूल खुलने से छात्र-छात्राएं और शिक्षकों के मौत की खबर सुनने को मिल रही है। विपक्ष लगातार इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा था। जिसे देखते हुए बिहार सरकार ने 30 में से 8 जून तक स्कूलों को बंद कर दिया।

लेकिन फिर भी ऐसी भीषण गर्मी में शिक्षकों का आना बंद नहीं हुआ और उन्हें कड़े निर्देश दिए गए कि उन्हें स्कूल वैसे ही आना होगा जैसे वह आते रहे हैं।

इसके बाद शिक्षकों के बीमार पड़ने और मरने की खबर को तूल दिया जाने लगा और विपक्ष ने यहां तो कह दिया कि जब छात्र ही स्कूल में नहीं रहेंगे तो शिक्षक जाकर क्या करेंगे शिक्षकों को इस भी भीषण गर्मी में छुट्टी दे देनी चाहिए।

अब देखना यह होगा कि एक ओर के के पाठक के छुट्टी पर जाने की खबर, तो वहीं दूसरी ओर कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव का एक्सटेंशन ना मानते हुए, नए अधिकारी को शिक्षा निदेशक बनाने। जैसे बड़े बदलाव इस चुनाव के बाद देखने को मिल सकता है। अब देखना यह होगा कि विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष भी के के पाठक के द्वारा लिए गए निर्णय पर हमेशा से सवाल उठता रहा है। क्या के के पाठक अपने हिटलर शाही को बंद करते हैं या इस भीषण गर्मी में शिक्षक को और बच्चों की जान जाती रहेगी।

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